Sunday, July 14, 2013

अब जेनरल टिकट भी एस एम् एस से


एस एम् एस सेवा पाने के लिए क्या है जरुरी 

रेल यात्रियों को IRCTC पर अपना मोबाईल पंजीकृत कराना होगा . विभाग की ओर से एक e-form एस एम् एस के जरिये यात्री के मोबाइल पर भेजा जायेगा . इसे मोबाईल में डाऊनलोड करना होगा . इसके अलावा एस एम् एस सेवा से जुडी निजी मोबाईल कंपनी की मदद से मोबाईल पर "ई-पर्स" रखना होगा, जिससे यात्रियों को कूपन खरीद कर एडवांस में पैसे जमा करने होंगे . 

एस एम् एस से कैसे बुक करें टिकट 

रिजर्वेशन फॉर्म की तरह ही यात्री को मोबाईल के बोक्स में जाकर अपना नाम , यात्रिओं की संख्या , कहाँ से कहाँ तक, श्रेणी आदि जानकारी भरकर रेलवे को एस एम् एस करना होगा . इसके जवाब में रेलवे की ओर से आने वाले एस एम् एस पर ओके करना होगा . ओके करते ही यात्री के ई पर्स से पैसा कट जायेगा और रेलवे से आने वाले दूसरे एस एम् एस को उसका टिकट माना जाएगा .

टिकट का प्रिंट लेना है जरुरी 

यात्रियों को रेलवे स्टेशन के प्रवेश द्वार पर लगी मशीनों पर मोबाईल एस एम् एस को टच करना होगा . इससे मशीन तीन सेकेण्ड के भीतर टिकट का प्रिंट आउट कर देगी . मशीन एक ही बार प्रिंट देगी . यात्रा करने के लिए प्रिंट आउट लेना जरुरी है . हालाँकि रेलवे एस एम् एस को ही वैध टिकट बनाने में काम कर रही है .

Tuesday, July 9, 2013

बदल गयी देवघर में दर्शन एवं पूजन की व्यवस्था




देशभर के मोबाइल धारकों के लिए अच्छी खबर है। श्रावणी मेला 2013 की बदली हुई व्यवस्था की जानकारी उनको घर बैठे मिल जाएगी। उनको बाबा मंदिर से जुड़े एसएमएस को गौर से पढ़ने की जरूरत है। उसके बाद उस सिस्टम के अनुरूप अपनी यात्रा की योजना तैयार कर सकते हैं।

गुरुवार को बीएसएनएल, एयरटेल, वोडाफोन समेत अन्य टेलीकॉम ऑपरेटरों के साथ उपायुक्त सह सचिव मंदिर प्रबंधन बोर्ड राहुल कुमार पुरवार ने बैठक की। उपायुक्त ने कहा कि बाबा की पूजा अर्चना करने देवघर आनेवाले यात्रियों के सुगम दर्शन की जो व्यवस्था की गयी है वह एसएमएस द्वारा मोबाइल पर उपलब्ध हो जाएगी। बता दें कि बदली हुई व्यवस्था में अब आप घर से चलने से पूर्व अपनी पूरी योजना का खाका तैयार कर सकते हैं। हवाई सेवा, ट्रेन, बस या निजी वाहनों से देवघर आनेवाले यात्री टाइम स्लाट के जरिये एक समय सीमा के भीतर अघ्र्या सिस्टम से पूजा करने के बाद निर्धारित समय में घर भी लौट सकते हैं।

कांवर यात्रा कर 12 घंटे या कभी कभी 24 घंटे लाइन में खड़ा रहकर भी निराश होकर लौटनेवाले के लिए तो यह सिस्टम वरदान साबित हो सकता है। क्योंकि एक समय सीमा के भीतर उनका दर्शन सुनिश्चित है। काठगेट वाली स्थिति भी नहीं होगी। लेकिन धैर्य सबसे बड़ी बात होगी।

एनजीओ के साथ भी हुई बैठक

जिला परिषद, नगर निगम के सदस्य, राजनीतिक दल के प्रतिनिधियों के अलावा स्वयंसेवी संगठनों के संग भी उपायुक्त ने बैठक की। नये सिस्टम से उनको अवगत कराया गया व सहयोग की अपील की गयी। कहा गया कि उनके माध्यम से भी इस नई व्यवस्था की जानकारी दी जाय, लोगों को इससे अवगत कराया जाय। चूंकि देवघर के लिए एक नया प्रयोग है और इसमें सबकी सहभागिता आवश्यक है। स्वयंसेवी संगठनों से कहा गया कि वह प्रशासन की ओर से लगाए जा रहे कॉरिडोर में अपनी सेवा से कांवरियों को लाभान्वित करें। बैठक में विधायक सारठ शशांक शेखर भोक्ता, एसडीओ जय ज्योति सामंता, जिप उपाध्यक्ष परिमल सिंह आदि उपस्थित थे।




मेले के दौरान शीघ्र दर्शनम की सुविधा पानेवाले यात्रियों को इंतजार नहीं करना होगा। नेहरू पार्क से सटे संस्कृत पाठशाला में इनके लिए 10 काउंटर तैयार रहेंगे। काउंटर से फार्म प्राप्त करने के बाद यात्री उसे भरेंगे, इसके बाद उसकी प्रक्रिया शुरू होगी। एक हजार रुपये शुल्क जमा करने के बाद बैज मिलेगा। बैज एक्टिवेट कराने के लिए यात्री को खुद कतार में खड़ा होना होगा। शीघ्र दर्शनम की सुविधा पास में समय नहीं होगा। उन्हें तत्काल दर्शन के लिए भेज दिया जाएगा। नेहरू पार्क से ही उन्हें भी कतार में लगना होगा।

न्यू देवघर स्टेशन के निकट बनेगा कॉरिडोर

नेहरू पार्क में यात्रियों का दबाव नहीं बढ़े इसके लिए प्रशासन ने नई व्यवस्था की है। न्यू रेलवे स्टेशन के रास्ते 40 फीट चौड़ी सड़क जिस पर ट्रैफिक का कोई दबाव नहीं होता है वहां 15 हजार लोगों के ठहरने को कॉरिडोर बनाया जाएगा। यहां पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे।

एक्टिवेशन सेंटर की संख्या 155

सुगम दर्शन में कोई अड़चन न आए इसके लिए एक्टिवेशन सेंटर की संख्या बढ़ाकर 155 कर दी गयी है। उपायुक्त ने बताया कि इसके अलावा 15 सेंटर आपात स्थिति के लिए तैयार रहेंगे।

बता दें कि सरासनी में 90 सेंटर होंगे जबकि संस्कृत पाठशाला, बाघमारा, आरमित्रा में 20-20 एवं जसीडीह बालक मध्य वि. में केंद्र की संख्या पांच होगी। सूचना भवन में उपकरण की आपूर्ति होनी शुरू हो गयी है। 10 जुलाई से न सिर्फ सिस्टम बल्कि ट्रैफिक की नई व्यवस्था भी शुरू कर दी जाएगी।

Thursday, July 4, 2013

यूँ डूबा एक सितारा हमको रौशन कर .

हमारी आन बान शान जिनसे थी मधुबनी की पहचान वो महासुन्दरी देवी आज हम सब के बीच नहीं रही .
जिन्होंने अपने कर्म से अपने मातृभूमि को नहीं पहचान दिलवाई तथा आजीवन कला के लिए समर्पित रहे .
दिनांक 4 जुलाई 2013 को सुबह के 9:35 में इलाज के दौरान हर्ट हॉस्पिटल मधुबनी में वो हम सब को छोड़ कर अनंत यात्रा पर चल पड़ी .

उनके जाने से मधुबनी एवं मिथिला को जो क्षति हुई है उसकी पूर्ति सदियों तक नहीं हो सकेगी .
आज मधुबनी उन्ही की कलाकृति के वजह से जानी जाती है .
92 वर्षीय महासुन्दरी देवी ने 6 बार राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त कर मिथिला एवं मधुबनी का नाम विश्व पटल पर लाया है . साथ ही इसके अलावे महासुन्दरी देवी ने कई राष्ट्रिय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त किया है .
मिथिला पेंटिंग को प्रोफेशनल बनाने में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकेगा .
हम तो बस परमपिता से यही कामना करेंगे की फिर इन महामाता को इस मिथिला के धरती पर भेंजे .
मिथिला सदैव इनका ऋणी रहेगा .