Wednesday, January 28, 2015

आधी रात माघ की



आधी रात माघ की, सड़क किनारे खोपची में


खेंदरी भीतर से दांत कटकटाने की आवाज आ रही थी

रात के मरघटी सन्नाटे में गूंज दूर तक जा रही थी


बदन के थरथरी को काबू करने का असफल जोर
आस दिल में जगी थी जल्द होने वाली है भोर

मगर खोपची के छेदों से होकर आ रहा था बैरी पछवा
हजारों सुई लिए काँटों संग कहर बरपा रहा था पछवा

सड़क से कुछ पन्नी अख़बार चुन कर जलाया जाय
मगर कैसे इस बेदर्दी ठण्ड में चिथरों से निकला जाए

असमंजस उहापोह ढाढस और उम्मीद
माघ की शीतलहरी रात और जीने की जिद

प्रलयंकारी रात के समर पश्चात जीवन दीप लिए
यही जिद उसे जिन्दा रखता है अगले सुबह के लिए

सुबह होते ही पेट के तपन को भी शांत करना है
पापी क्षुधा की समाप्ति को पुनः दर दर भटकना है.

Saturday, January 24, 2015

उठ अब वक्त पुकारता है



उठ अब वक्त पुकारता है .

बेबसी को अपनी डरा कर

जख्मो को अपने हरा कर

कूद धर्म के समर में

उठ अब वक्त पुकारता है




ईमानदारी टंगा है खूंटी पर

इंसानियत दम तोड़ रहा

तरकस को अपनी तैयार कर

उठ अब वक्त पुकारता है




बेजुबानों के लिए आवाज कर

चल नए सिरे से आगाज कर

खुद को ना लाचार कर

उठ अब वक्त पुकारता है




गैरों की जंजीर से जो आजाद हुई

अपनों के शोषण का शिकार हुई

उस माता का उद्धार कर

उठ अब वक्त पुकारता है




तुझे ही लड़ना है तू ही लडेगा

जुल्म कब तक उनका सहेगा

ना किसी का इंतजार कर

उठ अब वक्त पुकारता है

कर्ज माता का बहनों के राखी का

मांग सजे सिंदूर की लाली का

उतार दे, ना समय बेकार कर

उठ अब वक्त पुकारता है

Monday, August 11, 2014

कल और आज



तर्क वितर्क प्रस्तुत है
प्रत्युत्तर के अंदाज में
की क्या अंतर आया है
कल में और आज में !!



प्रभुवर्ग तो अब भी हैं
साम्राज्य फैलाये समाज में
की क्या अंतर आया है
कल में और आज में !!



फरेबी नियत खोखली निति
शोर नहीं एतराज में
की क्या अंतर आया है
कल में और आज में !!



सिंहासन बदली फितरत वही
भारत के लोकराज में
की क्या अंतर आया है
कल में और आज में !!



है वही लुट और वही शोषण
नए युग के आगाज में
की क्या अंतर आया है
कल में और आज में !!



वक्त का तकाजा मुकेश
जूनून भर परवाज में
दिखा दे अंतर दुनिया को
कल में और आज में!!

Thursday, October 31, 2013

एक अजीब अंदेशा


एक अजीब अंदेशा 

मुझे महसूस हो रहा था .
आंखे भी फरक रही थी .
और बिल्ली भी रास्ता काट रही थी .
रात को कुत्ते के रोने की आवाज से
सहसा मुझे लग रहा था .
की कुछ होने वाला है .


अभी-अभी तूफान गुजरी थी .
हर तरफ बर्बादी का मंजर था .
उजड़े हुए छत उखड़े से पेड़ .
अभी भी वैसे ही थे .
साथ ही था एक श्मशानी सन्नाटा .
अचानक मन उचट रहा था
की जरुर कुछ होने वाला है .


चौक पर दोस्तों के साथ
हाथ मे अखबार लिए
रैली पर चर्चा कर रहा था .
और बगल से गुजरता प्रचार गाड़ी
मुझसे अच्छा समझा रहा था .
उस गाड़ी से निकलता आवाज
मन में हलचल मचा रहा था
की शायद कुछ होने वाला है .


रैलियों का प्रतिस्पर्धा हो रहा था
जिला सम्मेलन राज्य सम्मलेन
ये वो ऐसा वैसा पहले जैसा
बोरा भर के रुपया उझला रहा था .
कहीं टोपी की चमचमाहट दिख रही थी
तो कहीं कंधे पे गेरुआ चादर नजर आ रहा था .
इस टोपी और चादर को देख कर
वाकई मुझे लग रहा था
की निश्चय कुछ होने वाला है .

Monday, October 28, 2013

एक और खजाना मिलने के आसार , नवंबर में होगी खुदाई

बलिराजगढ़ में नवंबर मे शुरू होगी खुदाई 

मधुबनी जिले के बाबूबरही प्रखंड में मौजूद ऐतिहासिक स्थल बलिराजगढ़ में नवंबर के मध्य से खुदाई शुरू हो जायेगी | हालाँकि अभी इसकी तारीख तय नही की गयी है | भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई ) पटना सर्किल के अधीक्षण पुरातत्वविद मदन सिंह चौहान ने बताया की बलिराजगढ़ क्षेत्र में भूमिगत जलस्तर बहुत ऊँचा है इस वजह से यहाँ खुदाई करने मे काफी कठिनाई आती है | 
ज्ञात हो की इससे पहले भी यहाँ खुदाई की गयी है जिसमे शुंग कॉल के टेराकोटा बर्तन और कई कलाकृतियाँ मिली है जिससे यह स्पस्ट हो जाता है की इस स्थल पर पौराणिक कॉल की संस्कृति के अवशेष दफ़न हैं , जिन्हें एक्सपोज करने की जरुरत है |

Monday, August 19, 2013

मिथिलाक ब्रह्म पूजा

मिथिला में शदियों स ब्रह्म पूजा केर विशेष महत्व अछि . दू दिन तक होमय वाला एहि विशेष पूजा अत्यंत नियम निष्ठा एवं श्रद्धा स करल जायत अछि . एहि पूजनोत्सव में समस्त कुलदेवी कुलदेवता संग ब्रह्म बाबा एवं विषहर भगवान के सेहो अराधल जायत अछि . कुलदेव कुलदेवता भगत पर आबि के पीड़ित के कल्याण करैत छथिन एवं सकल जन के कल्याण करैत छथिन . उत्सुकता कौतुहल एवं सजीव श्रद्धा के अद्वितीय अनुभव होयत अछि .