बोल दे माँ वैष्णवी दुर्गा महरानी गिलेशन वासिनी की ........ जय !
गे माँ, तोरे शरण हम रहब!
गे मैया, तोरे शरण हम रहब !
दुनिया अछि रूठल ! भागो अछि फुटल !
दुनिया अछि रूठल ! भागो अछि फुटल !
दोसर हम ककरा नग कनब !
गे माँ, तोरे शरण हम रहब!
गे मैया, तोरे शरण हम रहब !
दोसर रूसे त हम सहि लेबई !
तू रुसबे त ककरा नग जेबई !
मोनSक बात हम तोरे स कहब!
गे माँ, तोरे शरण हम रहब!
गे मैया, तोरे शरण हम रहब !
निज संतान जानी, तू नई बिसरिहें !
कोरे लगा के मै गई हमरा के रखिहें !
जिनगी भरि की हम बकलेले रहब !
गे माँ, तोरे शरण हम रहब!
गे मैया, तोरे शरण हम रहब !
गे माँ, तोरे शरण हम रहब!
गे मैया, तोरे शरण हम रहब !
दुनिया अछि रूठल ! भागो अछि फुटल !
दुनिया अछि रूठल ! भागो अछि फुटल !
दोसर हम ककरा नग कनब !
गे माँ, तोरे शरण हम रहब!
गे मैया, तोरे शरण हम रहब !
रचनाकार -- मुकेश पंजियार
गे माँ, तोरे शरण हम रहब!
गे मैया, तोरे शरण हम रहब !
दुनिया अछि रूठल ! भागो अछि फुटल !
दुनिया अछि रूठल ! भागो अछि फुटल !
दोसर हम ककरा नग कनब !
गे माँ, तोरे शरण हम रहब!
गे मैया, तोरे शरण हम रहब !
दोसर रूसे त हम सहि लेबई !
तू रुसबे त ककरा नग जेबई !
मोनSक बात हम तोरे स कहब!
गे माँ, तोरे शरण हम रहब!
गे मैया, तोरे शरण हम रहब !
निज संतान जानी, तू नई बिसरिहें !
कोरे लगा के मै गई हमरा के रखिहें !
जिनगी भरि की हम बकलेले रहब !
गे माँ, तोरे शरण हम रहब!
गे मैया, तोरे शरण हम रहब !
गे माँ, तोरे शरण हम रहब!
गे मैया, तोरे शरण हम रहब !
दुनिया अछि रूठल ! भागो अछि फुटल !
दुनिया अछि रूठल ! भागो अछि फुटल !
दोसर हम ककरा नग कनब !
गे माँ, तोरे शरण हम रहब!
गे मैया, तोरे शरण हम रहब !
रचनाकार -- मुकेश पंजियार
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