Friday, April 12, 2013

भगवती वंदना

बोल दे माँ वैष्णवी दुर्गा महरानी गिलेशन वासिनी की ........ जय !

गे माँ, तोरे शरण हम रहब!
गे मैया, तोरे शरण हम रहब !
दुनिया अछि रूठल ! भागो अछि फुटल !
दुनिया अछि रूठल ! भागो अछि फुटल !
दोसर हम ककरा नग कनब !
गे माँ, तोरे शरण हम रहब!
गे मैया, तोरे शरण हम रहब !

दोसर रूसे त हम सहि लेबई !
तू रुसबे त ककरा नग जेबई !
मोनSक बात हम तोरे स कहब!
गे माँ, तोरे शरण हम रहब!
गे मैया, तोरे शरण हम रहब !


निज संतान जानी, तू नई बिसरिहें !
कोरे लगा के मै गई हमरा के रखिहें !
 जिनगी भरि की हम बकलेले रहब !
गे माँ, तोरे शरण हम रहब!
गे मैया, तोरे शरण हम रहब !

गे माँ, तोरे शरण हम रहब!
गे मैया, तोरे शरण हम रहब !
दुनिया अछि रूठल ! भागो अछि फुटल !
दुनिया अछि रूठल ! भागो अछि फुटल !
दोसर हम ककरा नग कनब !
गे माँ, तोरे शरण हम रहब!
गे मैया, तोरे शरण हम रहब !

                                             रचनाकार -- मुकेश पंजियार

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