Thursday, July 4, 2013

यूँ डूबा एक सितारा हमको रौशन कर .

हमारी आन बान शान जिनसे थी मधुबनी की पहचान वो महासुन्दरी देवी आज हम सब के बीच नहीं रही .
जिन्होंने अपने कर्म से अपने मातृभूमि को नहीं पहचान दिलवाई तथा आजीवन कला के लिए समर्पित रहे .
दिनांक 4 जुलाई 2013 को सुबह के 9:35 में इलाज के दौरान हर्ट हॉस्पिटल मधुबनी में वो हम सब को छोड़ कर अनंत यात्रा पर चल पड़ी .

उनके जाने से मधुबनी एवं मिथिला को जो क्षति हुई है उसकी पूर्ति सदियों तक नहीं हो सकेगी .
आज मधुबनी उन्ही की कलाकृति के वजह से जानी जाती है .
92 वर्षीय महासुन्दरी देवी ने 6 बार राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त कर मिथिला एवं मधुबनी का नाम विश्व पटल पर लाया है . साथ ही इसके अलावे महासुन्दरी देवी ने कई राष्ट्रिय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त किया है .
मिथिला पेंटिंग को प्रोफेशनल बनाने में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकेगा .
हम तो बस परमपिता से यही कामना करेंगे की फिर इन महामाता को इस मिथिला के धरती पर भेंजे .
मिथिला सदैव इनका ऋणी रहेगा .

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